यदि लेते हैं 'पॉजिटिव ईगो से यू टर्न'

Twitter : @todayamit11

जब कई लोग, कई तरह की बातें, आपके मौजूदगी या गैर मौजूदगी में करते हैं तो, तो समझ लीजिए, बॉस! आप सही जा रहे हैं? लेकिन इस विचार को पॉजिटिव दिशा में सोचना चाहिए। यहां थोड़ी गड़बड़ की, मेरा मतलब निगेटिव दिशा से है। तो आप फिर आगे बढ़ने का ख्वाब छोड़ ही दीजिए।

मैं अमूमन ऐसे कई लोगों से मिला हूं। जो अपनी कार्यस्थल पर परेशान से रहते है। लेकिन आगे कुछ गलत होने वाला हो, उसके पहले अाप विवेक से यू टर्न लें ऐसे में आप खुद को राइट टर्न में पाएंगे। हममें से हर एक व्यक्ति के साथ ऐसा होता है।

अमूमन होता यह है कि कई लोग ऐसी सिचुएशन में रांग टर्न ले, लेते हैं और उनमें से बहुत कम होते हैं जो सही दिशा की पटरी पकड़ते हैं।  ऐसे में आपका पॉजिटिव ईगो और पॉजिटिव एटीट्यूड बहुत काम करता है।


ईगो का अगर सही दिशा में उपयोग किया जाए तो इसका पॉजिटिव पहलू भी है। पॉजिटिव ईगो कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। एक व्यक्ति कर्म या तो दया से करेगा या ईगो से, और समाज में अधिकतर कर्म ईगो से ही होते हैं। यहां मेरा मतलब निगेटिव ईगो से बिल्कुल भी नहीं है।

दरअसल पॉजिटिव ईगो आत्मविश्वास से आता है। आत्मविश्वास यानी अपनी क्षमताओं पर भरोसा होना। ये गुण हर व्यक्ति में जन्म  से होता है। और इसे तराशना होता है। यह आप पर निर्भर करता है आपने, अपने आत्मविश्वास को किस तरह तराशा है। वैसे आत्मविश्वास ज्ञान के बल पर हासिल भी किया जा सकता है।

हमेशा आत्मविश्वास की शक्ति, लक्ष्य और पॉजिटिव ईगो जब भी मिलते हैं तब क्षमताएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में किसी भी तरह का आत्मसंदेह नहीं रहता है, और आपकी योजनाएं पूरी होने लगती हैं। जब कोई आपके सम्मान को ठेस पहुंचाता है तब उसके सामने तुरंत नाराजगी व्यक्त करने की बजाय इन तीनों शक्तियों के बल पर नया तरीका खोंजे। इससे बेहतर कुछ हो नहीं सकता।

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