यहां जानें बौद्ध लामाओं का संक्षिप्त इतिहास

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दलाई लामा और करमापा, दोनों बोधिसत्व यानी भगवान गौतम बुद्ध के रूप माने जाते हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा का अर्थ है 'ज्ञान का सागर'। वे सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं।

17वीं शताब्दी में पांचवे दलाई लामा ने तिब्बत का आध्यात्मिक और राजनीतिक नेतृत्व संभाला था। वर्तमान दलाई लामा, 14वें अवतार, को 5 साल की उम्र में गद्दी पर बैठाया गया था। तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद वे 1959 में पलायन कर भारत आ गए और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में अपना आधार बना लिया।

गेलुग पंथ के ही पंचेन लामा तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े धर्माधिकारी हैं। 1989 में 10वें पंचेम लामा की मृत्यु के बाद दलाई लामा ने पांच साल के बालक गेधुन चोएकी न्यीमा की पहचान उनके अवतार के रूप में की। जो साक्षात् बुद्ध के अवतार माने जाते हैं। लेकिन चीन ने उस बच्चे को गिरफ्तार कर ग्याल्तसेन नोर्बू को अपना पंचेन लामा नामित किया।

तो वहीं, करमापा काग्यू पंथ के प्रमुख होते हैं। 1959 में 16वें करमापा तिब्बत से पलायन सिक्कम पहुंचे और उन्होंने रुमटेक में अपना पंथ स्थापित कर लिया। 1981 में उनकी मृत्यु के बाद दलाई लामा और चीन ने उग्येन त्रिनले दोर्जे को करमापा के रूप नें मान्याता दी, लेकिन एक राजा शमर रिंपोछे ने त्रिनले थाये दोरजे का समर्थन किया। इस तरह त्रिनले सन् में 2000 में भारत आ गए।


तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख पंथ...

8वीं सदी में विकसित हुआ तिब्बती बौद्ध धर्म चार प्रमुख पंथ में बंटा है।

1. न्यींगमा, जिसे लाल टोपी वालोंके रूप में भी जाना जाता है। इस पंथ की स्थापना 820 ई. में की गई थी।
प्रमुख: त्रुलशिक रिंपोछे
मुख्यालय: सोलुखूंबू, नेपाल

2. काग्यू, जिसे काली टोपी वालों के रूप में भी जाना जाता है। इस पंथ की शुरूआत महान योगी तिलोपा ने की, जो 10वीं सदी में उत्तर भारत में रहते थे।
प्रमुख: करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे
मुख्यालय: ग्यूतो तांत्रिक यूनिवर्सिटी, सिद्धबाड़ी, धर्मशाला
प्रतिद्वंदी: त्रिनले थाये दोरजे, जिन्हें शमर रिंपोछे का समर्थन हासिल है।
मुख्यालय: करमापा इंटरनेशनल बुद्धिस्ट इंस्टीट्युट, दिल्ली

3. साक्य, जिन्हें लाल टोपी वालों के रूप में भी जाना जाता है। इसकी उत्पत्ति 1035 ई. में हुई। यह तिब्बत के कुलीन परिवारों में से एक, खोन परिवार से जुड़ा है।
प्रमुख: 41वें साक्य त्रिजिन( गवांग कुंगा तेगचेन पलबर त्रिनले समफेल वांग्यी ग्यालपो)
मुख्यालय: राजपुर, देहरादून, उत्तराखंड

4. गेलुग पंथ, जिसे पीली टोपी वालों के रूप में भी जाना जाता है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म का नया पंथ है। जिसकी उत्पत्ति 1409 में हुई।
प्रमुख: दलाई लामा
मुख्यालय: धर्मशाला

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