नज़रिया होगा सही, तभी महसूस होगी सुंदरता


Twitter : @todayamit11

साधक सौंदर्यबोध परमात्मा तक तभी पहुंच पाएगा जब उसे सही नज़रिए से खूबसूरती महसूस कर सके। सौंदर्य के दो खतरे हैं वासना और विज्ञान। वासना कहती है 'सौंदर्य भोगो, अनुभूव मत करो।' विज्ञान कहता है 'नापो-तोलो, विश्लेषण करो और महसूस करो।'

हमारे जीवन में सौंदर्य से पहला परिचय तीन लोग कराते हैं। इनमें से एक अनजान होते हैं, दूसरे जाने-पहचाने और तीसरे मिली-जुली श्रेणी के लोग, पहले हैं, फूल। सौंदर्य की पहली झलक हमें फूलों से मिली है। 
लेकिन गुलाब यदि विज्ञान के हाथ में पकड़ा दिया जाए तो वह इसकी बॉटनी, केमेस्ट्री बता देगा, जो गलत नहीं होगी, परंतु खूबसूरती पर उसकी पकड़ नहीं होगी, वह खो चुकी होगी। पुष्प सौंदर्य, देखा और महसूस किया जाने वाला मामला है।


दूसरा जाना-पहचाना परिचय हमारी संतान होती है। संतान कैसी भी हो, हमें सुंदर ही लगेगी। विज्ञान के मापदंड भले ही गोरापन, नैन-नक्श हों, परंतु संवेदनाएं हमेशा सौंदर्यबोध ही कराएगीं।
तीसरा सौंदर्य का परिचय कराता है शरीर। फिर चाहे यह शरीर जाने हुए व्यक्ति का हो या अनजान का। इसमें विज्ञान और वासना दोनों काम कर जाते हैं। आजकल शारीरिक निकटता में भोग रह गया है, प्रेम जाता रहा। सौंदर्य को अनुभव करने में परमात्मा की संभावना बढ़ जाती है।

सौंदर्य का साधन बनाकर उस परम सुंदर को प्राप्त किया जाए। शास्त्रों ने इसे ही सत्यं शिवम् सुंदरम् कहा गया है। सौंदर्य को उसके सत्य के साथ जाना जाए, केवल विज्ञान के साथ और वासना के साथ न समझा जाए। 

इसलिए परमात्मा से मिलने में हमें देर हो जाती है। तभी तो कहते हैं कि खूबसूरती तभी महसूस होगी जब आप उसे सही नज़रिए से देखें।

नोट : यह आलेख कैसा लगा प्रतिक्रिया जरूर दें। यदि किसी माध्यम में इस आलेख का कंटेंट उपयोग करना चाहें तो ब्लॉग और ब्लॉगर का नाम जरूर दें। 





Comments