संसार के सबसे बड़े ग्रंथ में मौजूद है सफलता का ये रहस्य

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द्वापरयुग में जब कौरव और पांडव गुरु द्रोणाचार्य से कई तरह की विद्याएं सीख रहे थे, तब द्रोणाचार्य ने सफल होने के 4 गुण बताए थे। इस बात का उल्लेख भगवान श्री गणेश जी द्वारा लिखित संसार के सबसे बड़े ग्रंथ महाभारत में मिलता है।

गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों को बताया कि कोई भी व्यक्ति सफल हो सकता है। बस आवश्यकता है तो उसमें निडरता, योग्यता, ईमानदारी और टीम के साथ बेहतर सामंजस्य बनाते हुए कार्य करना।

लेकिन, कई बार ऐसी चुनौतियां भी आएंगी जब ये चार गुण होने के बाद भी असफलता का सामना करना पड़ सकता है। सूर्य डूबता  है लेकिन अगले दिन वह एक नई ऊर्जा के साथ संसार को फिर से रोशन कर देता है। तो बस इस बात को मन के किसी कोने में रखकर अपने कर्म को करते रहिए।



हमेशा बुरे अनुभव से ही बेहतर अनुभव मिलता है। ध्यान रखें, द्वापरयुग में तो गुरु द्रोणाचार्य ने कौरव और पांडव को कुछ सफल होने की बातें बताई थीं।

लेकिन कलियुग में अपने नैतिक मूल्यों, ईमानदारी और किसी भी तरह का गलत कार्य न करते हुए कार्य करते रहिए। सफलता हासिल करना है तो बुरे अनुभव से ही बेहतर शिक्षक ओर कोई नहीं हो सकता है।

बस आवश्यकता है तो इन बुरे अनुभव में मौजूद सकारात्मक विचारों को जिंदगी में अमल लाने की कोशिश करते रहिए।

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